Saturday, August 11, 2018

सूक्ष्मदर्शी एवं दूरदर्शी (MICROSCOPE AND TELESCOPE) - Most Useful General Knowledge for IAS/PCS,UGC/NET,SSC, BANK P.O.,RAILWAY ETC COMPETITIVE EXAMS

सूक्ष्मदर्शी  एवं दूरदर्शी (MICROSCOPE AND TELESCOPE) - Most Useful General Knowledge for IAS/PCS,UGC/NET,SSC, BANK P.O.,RAILWAY ETC COMPETITIVE EXAMS
1-प्रकाशिक यन्त्र (Optical device)
जिन यन्त्रों अथवा उपकरणों की सहायता से वस्तुओं के आवर्धित एवं स्पष्ट प्रतिबिम्ब देखे जा सकें, प्रकाशिक यन्त्र कहलाते हैं |
2-आवर्धन क्षमता (Magnifying power)
प्रतिबिम्ब द्वारा आँख पर बने दर्शन कोण तथा स्पष्ट दृष्टि की  न्यूनतम दूरी पर स्थित वस्तु द्वारा आँख पर बने दर्शन कोण के अनुपात को  प्रकाशिक यन्त्र की आवर्धन क्षमता  कहते हैं |
3-सरल सूक्ष्मदर्शी (Simple Microscope)
वह प्रकाशिक यन्त्र, जो सूक्ष्म वस्तुओं का आभासी एवं बड़ा प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम  दूरी पर बनाए | इसमें कम फोकस दूरी का एक उत्तल लेन्स होता है |
(i)यदि प्रतिबिम्ब स्पष्ट  की न्यूनतम दूरी D पर बनता है, तब सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
                                             $m=\left( 1+\frac{D}{f} \right)$
(ii)यदि प्रतिबिम्ब अनन्त पर बने (श्रान्त नेत्र के लिए), तब सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
                                    $m=\frac{D}{f}$
4-संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope)
इसमें दो उत्तल लेन्स होते हैं | नेत्र की ओर रखा उत्तल लेन्स अभिनेत्र लेन्स अथवा नेत्रिका कहलाता है | यह अधिक फोकस दूरी तथा बड़े द्वारक का होता है | वस्तु की ओर रखा उत्तल लेन्स अभिदृश्यक लेन्स कहलाता है | यह कम फोकस दूरी तथा छोटे द्वारक का होता है |
5-संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता (Magnifying power of Compound Microscope)
(i)जब अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट की न्यूनतम दूरी D पर बने, तब संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
                   $m=-\frac{{{v}_{o}}}{{{u}_{o}}}$$\left( 1+\frac{D}{{{f}_{e}}} \right)$
(ii) जब अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बने (श्रान्त नेत्र के लिए), तब संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
                        $m=-\frac{{{v}_{o}}}{{{u}_{o}}}\times \frac{D}{{{f}_{e}}}$
जहाँ ${{u}_{o}}$= अभिदृश्यक लेन्स से वस्तु की दूरी, ${{v}_{o}}$= अभिदृश्यक लेन्स से प्रतिबिम्ब की दूरी तथा ${{f}_{o}}$= नेत्रिका लेन्स की फोकस दूरी है |
6-खगोलीय दूरदर्शी (Astronomical Telescope)
इसमें दो उत्तल लेन्स होते हैं | नेत्र की ओर रखा उत्तल लेन्स अभिनेत्र लेन्स अथवा नेत्रिका कहलाता है | यह कम फोकस दूरी तथा छोटे द्वारक का  होता है | वस्तु की ओर रखा उत्तल लेन्स अभिदृश्यक लेन्स कहलाता है | यह अधिक फोकस दूरी तथा बड़े द्वारक का होता है |
7-खगोलीय दूरदर्शी का आवर्धन क्षमता (Magnifying power of Astronomical Telescope)
(i)जब अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम D दूरी पर बने, तब खगोलीय दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता
                               $m=-\frac{{{f}_{o}}}{{{f}_{e}}}\left( 1+\frac{{{f}_{e}}}{D} \right)$
(ii)जब प्रतिबिम्ब अनन्त पर बने (श्रान्त नेत्र के लिए), तब खगोलीय दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता
                     $m=-{{f}_{o}}/{{f}_{e}}$
जहाँ ${{f}_{o}}$अभिदृश्यक लेन्स की फोकस दूरी तथा ${{f}_{e}}$ अभिनेत्र लेन्स की फोकस दूरी है |
8-खगोलीय दूरदर्शी की लम्बाई—
खगोलीय दूरदर्शी की लम्बाई = ${{f}_{o}}+{{f}_{e}}$
9-प्रिज्म (Prism)
किसी कोण पर झुके हुए दो समतल पृष्ठों के बीच स्थित पारदर्शी माध्यम को प्रिज्म कहते हैं |
              प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक $n=\frac{\sin \left( \frac{A+{{\delta }_{m}}}{2} \right)}{\sin A/2}$
10-वर्ण-विक्षेपण (Dispersion)
श्वेत प्रकाश-किरण के अपने अवयवी रंगों की प्रकाश-किरणों में विभक्त होने की घटना को वर्ण-विक्षेपण कहते हैं | इसका कारण प्रत्येक रंग के लिए प्रिज्म के पदार्थ के अपवर्तनांक का भिन्न-भिन्न होना है |
11-स्पेक्ट्रम (Spectrum)
जब श्वेत प्रकाश-किरण किसी प्रिज्म में से गुजरती है तो वह अपने मार्ग से विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुककर विभिन्न रंगों की किरणों में विभक्त हो जाती है | प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण से प्राप्त रंगों के समूह को वर्णक्रम कहते हैं | श्वेत प्रकाश में सात रंग बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला,नारंगी, तथा लाल होते हैं |
रंगों के क्रम को VIBGYOR अथवा बैनीआहपीनाला कहते हैं | इस स्पेक्ट्रम का ऊपरी सिरा लाल तथा नीचे का सिरा बैंगनी होता है | बैंगनी का विचलन सबसे अधिक तथा लाल रंग का विचलन सबसे कम होता है | बैंगनी रंग की तरंग-दैर्ध्य सबसे कम तथा लाल रंग की तरंग-दैर्ध्य सबसे अधिक होती है | बैंगनी रंग का अपवर्तनांक सबसे अधिक तथा लाल रंग का अपवर्तनांक सबसे कम होता है |
12-वस्तुओं के रंग
सामान्य प्रकाश में रखी हुई वस्तु जिस रंग के प्रकाश को परावर्तन अथवा अपवर्तन द्वारा हमारी आँख में भेजती है वह वस्तु हमें उसी रंग में दिखाई देती है, वह रंग उस वस्तु का रंग कहलाता है |
(i)जो वस्तु अपने पर आपतित सम्पूर्ण प्रकाश का अविशोषण कर लेती है, वह वस्तु का  रंग कहलाता है |
(ii)जो वस्तु अपने पर आपतित सम्पूर्ण प्रकाश का परावर्तन या अपवर्तन कर देती है, वह वस्तु श्वेत दिखाई देती है |
(iii)अपारदर्शी वस्तु उस रंग की दिखाई देती है जिस रंग की किरणों का वह परावर्तन कर देती है |
(iv)पारदर्शी वस्तु उस रंग की दिखाई देती है जिस रंग की किरणों का वह अपवर्तन कर देती है |
13-दृश्य-प्रकाश की तरंग-दैर्ध्य—
4×10-7 मीटर से 7.8 × 10-7 मीटर तक
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