1-ऊष्मीय ऊर्जा (Thermal Energy)—
जब दो वस्तुओं के बीच
तापान्तर के कारण ऊर्जा स्थानान्तरण होता है तो इस स्थानान्तरित ऊर्जा को ऊष्मीय
ऊर्जा कहते हैं |
2-ऊष्मा के मात्रक (Units of heat)—
ऊष्मा के मात्रक जूल,
कैलोरी तथा किलो-कैलोरी हैं |
3-जूल (Joule)—
1 जूल वह ऊष्मा जो $\frac{1}{4.2}$ ग्राम जल का ताप 1०
C बढ़ाने में व्यय होती है |
4-कैलोरी (Calorie)—
1 ग्राम जल का ताप 1०C
बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1
कैलोरी कहते हैं |
5-किलो-कैलोरी (Kilo-Calorie)—
1 किग्रा जल का ताप 1०C
बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 किलो-कैलोरी कहते हैं |
6-जूल तथा कौलोरी में
सम्बन्ध (Relation between Joule and Calorie)—
1 कैलोरी = 4 . 2 जूल
अथवा 1 जूल = $\frac{1}{4.2}$कैलोरी |
1 किलो-कैलोरी = 4 .2 × 103 जूल
7-ऊष्मा की मात्रा की
निर्भरता —
किसी वस्तु द्वारा ली गई
अथवा दी गई ऊष्मा की मात्रा तीन बातों पर निर्भर करती है—(1) वस्तु के द्रव्यमान
पर, (2) वस्तु के ताप में होने वाली वृद्धि अथवा कमी पर, (3) वस्तु के पदार्थ पर |
8-ऊष्माधारिता (Thermal Capacity)—
किसी वस्तु के कुल
द्रव्यमान का ताप 1०C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस वस्तु
की ऊष्माधारिता कहते हैं |
इसका मात्रक कैलोरी /०C
अथवा किलो-कैलोरी/०C है |
9-विशिष्ट ऊष्मा (Specific Heat)—
किसी पदार्थ के 1 ग्राम
द्रव्यमान का ताप 1०C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस
पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा कहते हैं |
विशिष्ट ऊष्मा का मात्रक
कैलोरी/ग्राम-०C अथवा किलो-कैलोरी/किग्रा-०C है |
10-गुप्त ऊष्मा (Latent Heat)—
स्थिर ताप पर किसी पदार्थ
के एकांक द्रव्यमान की अवस्था परिवर्तन के
लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस पदार्थ की गुप्त ऊष्मा कहते हैं |
इसका मात्रक कैलोरी/ग्राम
अथवा किलो-कैलोरी/किग्रा है |
11-गलन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Melting)—
यह ऊष्मा की वह मात्रा
है, जो बिना ताप बदले एकांक द्रव्यमान के
ठोस को द्रव में बदलने के लिए आवश्यक होती
है; जैसे—बर्फ की गुप्त ऊष्मा 80 किलो-कैलोरी/किग्रा है |
12-वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporisation)—
यह ऊष्मा की वह मात्रा
है, जो एकांक द्रव्यमान के द्रव को सम्पूर्ण रूप से, बिना ताप-परिवर्तन के वाष्प अवस्था में बदलने के लिए आवश्यक होती है;
जैसे—भाप की गुप ऊष्मा 539 किलो-कैलोरी/किग्रा है |
13-कैलोरिमिति का
सिद्धान्त (Principle of Calorimetry)—
जब भिन्न-भिन्न ताप पर दो वस्तुएँ एक-दूसरे के सम्पर्क में लाई जाती
हैं अथवा मिश्रित की जाती हैं तो ऊष्मा का
स्थानान्तरण अधिक ताप वाली वस्तु से कम ताप वाली वस्तु की ओर होता है | यह क्रिया
तब तक चलती रहती है जब तक कि दोनों का ताप समान न हो जाए | इस प्रक्रिया में एक वस्तु द्वारा दी गई ऊष्मा,
दूसरी वस्तु द्वारा ग्रहण की गई ऊष्मा के बराबर
होती है |
अर्थात् दी गई ऊष्मा = ली गई
ऊष्मा
14-ऊष्मामापी का
जल-तुल्यांक (Water Equivalent of Calorimeter)—
ऊष्मामापी का जल-तुल्यांक
जल के उस द्रव्यमान के बराबर है जिसका ताप 1०C बढ़ाने के लिए ऊष्मा की
उतनी ही मात्रा की आवश्यकता होती है जितनी कि ऊष्मामापी का ताप 1०C बढ़ाने के लिए आवश्यक है |
इसका मात्रक ग्राम अथवा किलोग्राम है |
जल-तुल्यांक = द्रव्यमान × विशिष्ट ऊष्मा अथवा W = m x s
15-अवस्था परिवर्तन (Change of State)—
नियत ताप पर किसी पदार्थ
का एक भौतिक अवस्था से, दूसरी भौतिक अवस्था में परिवर्तन अवस्था परिवर्तन कहलाता
है |
16-गलन तथा गलनांक (Melting and Melting Point)—
ठोस अवस्था से, द्रव
अवस्था में परिवर्तन को गलन कहते हैं तथा वह निश्चित ताप जिस पर यह क्रिया होती है
गलनांक कहलाता है |
17-हिमायन तथा हिमांक (Freezing and Freezing point )—
द्रव अवस्था से, ठोस
अवस्था में बदलने की प्रक्रिया को हिमायन कहते हैं तथा जिस निश्चित ताप पर यह प्रक्रिया होती है, उसे हिमांक
कहते हैं; जैसे—बर्फ का गलनांक तथा जल का हिमांक दोनों 0०C होते हैं |
18-द्रवण अथवा संघनन (Liquefaction or Condensation)—
किसी गैस का ताप कम करने
पर, वह एक निश्चित ताप पर गैसीय अवस्था
से, द्रव अवस्था में परिवर्तित होने लगती है | इसे द्रवण अथवा संघनन कहते
हैं |
19-क्वथन तथा क्वथनांक (Boiling and Boiling Point)—
जब किसी द्रव को गर्म किया जाता है तो उसके वाष्पन
की दर बढ़ जाती है तथा एक स्थिति ऐसी आ जाती है जब
द्रव के अन्दर बड़े-बड़े बुलबुले उठने लगते
हैं और द्रव उबलने लगता है | इस क्रिया को क्वथन कहते हैं | वह निश्चित ताप जिस पर
सम्पूर्ण द्रव वाष्पित हो जाता है, उस द्रव का क्वथनांक कहलाता है; जैसे—जल का
क्वथनांक 100०C है |
20-वाष्पन (Evaporation)—
जब द्रव को गर्म
करते-करते एक अवस्था ऐसी आ जाती है कि द्रव के अणु अपनी बढ़ी हुई ऊर्जा के कारण
द्रव के तल से बाहर जाने लगते हैं तो इसे द्रव का वाष्पन कहते हैं |
21-ओसांक (Dew Point)—
वह ताप जिस पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित जल की वाष्प,
वायु के उस आयतन को संतृप्त कर सके, ओसांक कहलाता है | किसी ताप पर वायु में उपस्थित वाष्प-दाब, ओसांक पर संतृप्त वाष्प-दाब
के बराबर होता है |
22-आर्द्रता तथा
आर्द्रतामिति —
वायुमण्डल में उपस्थित
जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं | वायु में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा तथा
दाब के प्रभावों के अध्ययन व मापन को आर्द्रतामिति कहते हैं |
23-निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute Humidity)—
किसी ताप पर
वायुमण्डल के एकांक आयतन में उपस्थित
जलवाष्प की मात्रा को वायु की निरपेक्ष आर्द्रता अथवा परम आर्द्रता कहते हैं |
24-आपेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity)—
किसी ताप पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित जलवाष्प के द्रव्यमान
तथा उसी ताप पर वायु के उसी आयतन को संतृप्त करने के लिए आवश्यक वाष्प के
द्रव्यमान के अनुपात को वायु की आपेक्षिक आर्द्रता कहते हैं | इस अनुपात को 100 से
गुणा करते हैं; क्योंकि आर्द्रता को प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है |
t०C पर आपेक्षित आर्द्रता = (t०C
पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित वाष्प
का द्रव्यमान / t०C पर वायु के उसी आयतन को संतृप्त करने के
लिए आवश्यक वाष्प का द्रव्यमान) x 100
25-ऊष्मा तथा कार्य की
तुल्यता—
ऊष्मा को कार्य में तथा कार्य
को ऊष्मा में बदला जा सकता है |
अत: यान्त्रिक कार्य
उत्पन्न ऊष्मा
अथवा W
H अथवा
W = JH
जहाँ J एक नियतांक है | इसे
ऊष्मा का यान्त्रिक तुल्यांक अथवा परिवर्तन-गुणांक कहते है |
26-ऊष्मा का यान्त्रिक
तुल्यांक (Mechanical Equivalent of Heat)—
जब कभी यान्त्रिक कार्य
का ऊष्मा में अथवा ऊष्मा का यान्त्रिक
कार्य में रूपान्तरण होता है तो कार्य W तथा ऊष्मा (H) में सदैव एक निश्चित अनुपात
होता है |
$\frac{W}{H}=J$ जहाँ J ऊष्मा का यान्त्रिक तुल्यांक है |
यदि H= 1 तो W = J| अत:
ऊष्मा का यान्त्रिक तुल्यांक, कार्य की उस मात्रा के बराबर है जो 1 कैलोरी ऊष्मा
उत्पन्न करने के लिए आवश्यक है |
J का आंकिक मान 4 . 18 अथवा
4 . 2 जूल/कैलोरी अथवा 4.18 x 103 जूल/किलो-कैलोरी होता है |
27-ऊष्मा इंजन (Heat Engine)—
वह युक्ति जिसके द्वारा ऊष्मा का यान्त्रिक कार्य
में रूपान्तरण किया जा सकता है, ऊष्मा इंजन कहलाती है |
ऊष्मा इंजन दो प्रकार के होते हैं—(1)बाह्य दहन
इंजन; जैसे—भाप का इंजन तथा (2)अन्त:दहन इंजन; जैसे—पेट्रोल तथा डीजल इंजन |
28-अन्त:दहन इंजन तथा बाह्य दहन इंजन में अन्तर (Difference between Internal Combustion Engine
and External Combustion Engine )—
अन्त:दहन इंजन में सिलिण्डर के बाहर ईंधन को जलाकर
गैस में बदला जाता है, जबकि बाह्य दहन
इंजन में सिलिण्डर के बाहर ईंधन को जलाकर बॉयलर में जल को भाप में बदला जाता है |
29-अन्त:दहन इंजन के प्रकार—
(1)पेट्रोल इंजन तथा (2)डीजल इंजन |
30-पेट्रोल इंजन तथा डीजल इंजन में अन्तर (Difference between Petrol Engine and Diesel
Engine)—
पेट्रोल इंजन में ईंधन का ज्वलन स्पार्क प्लग द्वारा
होता है, जबकि डीजल इंजन में स्पार्क प्लग प्रयुक्त नहीं किया जाता |
इन दोनों में एक चक्र चार चरणों में पूरा होता है |
दुपहिया वाहनों में दो चरण वाले इंजन प्रयुक्त होते हैं |
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