Thursday, August 9, 2018

बल का आघूर्ण (MOMENT OF FORCE)-Most Useful General Knowledge for IAS/PCS,UGC/NET,SSC, BANK P.O.,RAILWAY ETC COMPETITIVE EXAMS


Moment of Force,Scalar Quantities,Vector Quantities,Law of Parallelogram of Forces,Force,Parallel Force,Moment of Force,Positive and Negative Torque,Moment of Couple,Principle of Moments,Lever,Fulcrum,Effort,Weight,Types of Lever,Mechanical Advantage,Beam Balance,Qualities of a Good Balance,Equilibrium,Stable Equilibrium,-Most Useful for IAS/PCS,UGC/NET,SSC, BANK P.O.,RAILWAY ETC COMPETITIVE EXAMS

1-अदिश राशियाँ (Scalar Quantities)
जिन भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिए केवल परिमाण की आवश्यकता होती है, दिशा की नहीं, अदिश राशियाँ कहलाती हैं ; जैसे-लम्बाई, दूरी, समय, क्षेत्रफल आदि |
2-सदिश राशियाँ (Vector Quantities)
जिन भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिए परिमाण तथा दिशा दोनों की आवश्यकता होती हैं, सदिश राशियाँ कहलाती हैं; जैसे—विस्थापन, वेग, त्वरण, बल आदि |
3-बलों के समान्तर चतुर्भुज का नियम (Law of Parallelogram of Forces)
यदि किसी बिन्दु पर एक साथ लगे दो बलों को परिमाण तथा दिशा में, किसी समान्तर चतुर्भुज की दो संलग्न भुजाओं से प्रदर्शित किया जाए तो उनका परिणामी बल, परिमाण तथा दिशा में, समान्तर चतुर्भुज के उस विकर्ण से प्रदर्शित होगा, जो दोनों भुजाओं के उभयनिष्ठ बिन्दु से होकर जाता है |
यदि दो बल A व B परस्पर 𝜃 कोण बनाते हुए कार्य कर रहे हैं तो
                   परिणामी बल  $R=\sqrt{\left[ {{A}^{2}}+{{B}^{2}}2AB\cos \theta \right]}$    
यदि परिणामी बल R, बल A के साथ 𝛼 कोण बनाता है तो
                       tan 𝛼 = $\frac{B\sin \theta }{A+B\cos \theta }$
 4-बल (Force)
वह बाह्य कारक, जो किसी वस्तु की विराम अथवा एकसमान सरल रेखीय गति की अवस्था में परिवर्तन करता है (अथवा करने का प्रयास करता है), बल कहलाता है | बल का मात्रक न्यूटन है तथा यह सदिश राशि है |
5-वस्तु का भार—
पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है | अत: पृथ्वी के द्वारा किसी वस्तु पर लागाए आकर्षण बल को उस वस्तु का भार कहते हैं | इसका मात्रक किलोग्राम-भार अथवा न्यूटन है |
                         वस्तु का भार = द्रव्यमान × गुरुत्वाय त्वरण
अत:                                          W = mg
वस्तु का भार स्थान परिवर्तन के साथ बदलता है | इसे कमानीदार तुला से ज्ञात किया जाता है |
6-समान्तर बल (Parallel Force)
वे बल जिनकी क्रिया-रेखाएँ परस्पर समान्तर हों, समान्तर बल कहलाते हैं |
7-बल-आघूर्ण (Moment of Force)
बल बल द्वारा किसी पिण्ड को एक स्थिर बिन्दु अथवा अक्ष के परित: घुमाने की प्रवृत्ति को बल-आघूर्ण कहते हैं अथवा किसी बल का किसी बिन्दु अथवा अक्ष के परित: बल-आघूर्ण बल के परिमाण तथा उस बिन्दु के बल की क्रिया-रेखा से लम्बवत दूरी के गुणनफल के बराबर होता है | यह सदिश राशि है तथा इसका मात्रक न्यूटन-मीटर है |
        बल-आघूर्ण = बल × स्थिर बिन्दु से बल की क्रिया-रेखा की लम्बवत दूरी |
8-धनात्मक तथा ऋणात्मक बल-आघूर्ण (Positive and Negative Torque)
यदि बल पिण्ड को वामावर्त (घड़ी के चलने की विपरीत दिशा में) घुमाने की प्रवृत्ति रखता है तो उसे धनात्मक बल-आघूर्ण कहते हैं | यदि बल पिण्ड को दक्षिणावर्त (घड़ी के चलने की दिशा में) घुमाने की प्रवृत्ति रखता है तो उसे ऋणात्मक बल-आघूर्ण कहते हैं |
9-बल-युग्म (Couple)—
दो बराबर, विपरीत तथा समान्तर बलों के जोड़े को (जिनकी क्रिया-रेखाएँ एक सीध में न हों) बल-युग्म कहते हैं |
10-बल-युग्म का आघूर्ण (Moment of Couple)
एक बल (F) × दोनों बलों के बीच की लम्बवत दूरी (d) |
11-आघूर्ण का नियम (Principle of Moments)
यदि कोई पिण्ड किसी अक्ष के चारों ओर घूमने के लिए स्वतन्त्र है और उस पर कई बल लगे हैं, परन्तु पिण्ड संतुलन में है तो पिण्ड पर आरोपित सभी बलों के उस अक्ष के परित: आघूर्णों का बीजगणितीय योग शून्य होगा | अर्थात्
          वामावर्त बल-आघूर्णोंका योग = दक्षिणावर्त बल-आघूर्णों का योग |
12-उत्तोलक (Lever)
यह एक सीधी अथवा मुड़ी हुई छड़ होती है, जो किसी स्थिर बिन्दु के परित: स्वतन्त्रतापूर्वक घूम सकती है |
इसके तीन भाग हैं—
(i)आलम्ब (Fulcrum)—जिस बिन्दु के परित: उत्तोलक स्वतन्त्रतापूर्वक घूम सकता है, आलम्ब कहलाता है |
(ii)आयास (Effort)—उत्तोलक द्वारा भारी बोझ को उठाने के लिए आरोपित बल आयास कहलाता है |
(iii)भार (Weight)—उत्तोलक द्वारा जो भारी बोझ उठाया जाता है, भार कहलाता है |
13-उत्तोलक के प्रकार (Types of Lever)
उत्तोलक के तीन प्रकार के होते हैं | Fine Work Please के शब्दों F, W, P के अनुसार, प्रथम वर्ग के उत्तोलकों में F (Fulcrum) बीच में जैसे—बच्चों के झूलने का तख्ता (sea-saw), कैंची, प्लास,साधारण तुला की डण्डी
द्वितीय प्रकार के उत्तोलकों में W (Weight) बीच में जैसे—सरौता, नींबू निचोडने की मशीन, कूड़ा धोने की एक पहिये की गाड़ी तथा
तृतीय वर्ग के उत्तोलकों में P (Effort) बीच में होते हैं जैसे—मनुष्य के हाथ की कोहनी, चिमटा, किसान का हल आदि |
14-यान्त्रिक लाभ (Mechanical Advantage)
भार (W) तथा आयास (P) के अनुपात को उत्तोलक का यान्त्रिक लाभ कहते हैं |
यान्त्रिक लाभ (A) =  भार (W) / आयास (P)
प्रथम वर्ग के उत्तोलक में, यान्त्रिक लाभ (A) 1 से कम अथवा 1 से अधिक कुछ भी हो सकता है |
द्वितीय वर्ग के उत्तोलक में, यान्त्रिक लाभ (A) सदैव 1 से अधिक होता है |
तृतीय वर्ग के उत्तोलक में, यान्त्रिक लाभ (A) सदैव 1 से कम होता है |
15-दण्ड-तुला (Beam Balance)
यह आघूर्णों के सिद्धान्त पर आधारित प्रथम वर्ग का उत्तोलक है |
16-अच्छी तुला की विशेषताएँ (Qualities of a Good Balance)
सत्यता, सुग्राहिता, स्थायित्व तथा दृढ़ता |
17-तुला के दोष
(i)पलड़ों के भार बराबर न हों, (ii)भुजाओं की लम्बाई समान  न हों |
18-दोषयुक्त तुला से सही भार ज्ञात करना (To determine the correct weight with a Faulty Balance)
यदि तुला की दोनों भुजाएँ समान है, परन्तु तुला-दण्ड क्षैतिज नहीं है,  तब यदि दोनों पलड़ों पर सन्तुलन के लिए बारी बारी से रखे गए भार W1 तथा W2 हों तो
                       वास्तविक भार (W) = (W1 + W2) /2
(ii)यदि तुला की दोनों भुजाएँ असमान हैं, परन्तु तुला-दण्ड क्षैतिज है, तब
                               वास्तिविक  भार (W)= $\sqrt{{{W}_{1}}\times {{W}_{2}}}$   
19-गुरुत्व केन्द्र (Centre of Gravity)
वह निश्चित बिन्दु जिस पर पिण्ड का सम्पूर्ण भार कार्य करता है, गुरुत्व केन्द्र कहलाता है | गुरुत्व केन्द्र की स्थिति वस्तु के आकार पर निर्भर करती है |
20-सन्तुलन (Equilibrium)
किसी वस्तु के सन्तुलन के  लिए—
(i)उस पर लगे सभी बलों का परिणामी बल शून्य होना चाहिए,
(ii)वामावर्त बल-आघूर्ण = दक्षिणावर्त बल-आघूर्ण |
संतुलन तीन प्रकार का होता है—(i)स्थायी सन्तुलन, (ii) अस्थायी सन्तुलन (iii)उदासीन सन्तुलन |
21-स्थायी सन्तुलन (Stable Equilibrium)--
इसके लिए—
(i)वस्तु का गुरुत्व केन्द्र अधिक-से अधिक नीचा होना चाहिए |
(ii)गुरुत्व केन्द्र से होकर जाने वाली ऊर्ध्वाधर रेखा वस्तु के आधार से गुजरनी  चाहिए |

----------------------------------------------------------------------

general science notes for competitive exams pdf in hindi, science notes in hindi for competitive exams, general science in hindi, science gk in hindi objective, general science objective questions and answers in hindi, general science questions and answers in hindi pdf, general science notes in hindi pdf free download, lucent general science in hindi pdf free download, general science for competitive exam in hindi, general science notes for competitive exams pdf in hindi, general science in hindi for ssc, general science questions and answers in hindi pdf, general science in hindi online test, general science objective questions and answers in hindi, science gk in hindi objective, general science pdf, general science objective questions and answers for competitive exams, general science for ssc exam in hindi, general science questions and answers in hindi pdf, general science in hindi online test, general science in hindi for ssc, science gk in hindi objective, science gk in hindi download, 500 science general knowledge question answer, general science pdf, general science notes in hindi pdf free download, general science guide for competitive exams csat nda cds railways ssc upsc state psc defence, general science guide for competitive exams pdf, general science for competitive exams - ssc/ banking/ railways/ defense/ insurance, general science books for competitive exams pdf, best book for general science, encyclopedia of general science for general competitions, objective general science with subjective, disha publication general science pdf, lucent general science

No comments:

Post a Comment